चेक बाउंस के मामले को हल्के में न लें: लग सकती है जेल, भरना पड़ सकता है भारी जुर्माना – जानिए पूरे नियम
भारत में डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन बैंकिंग के जमाने में भी चेक का चलन अब भी बना हुआ है। खासकर व्यापारिक लेन-देन में आज भी चेक एक महत्वपूर्ण भुगतान माध्यम बना हुआ है। लेकिन, अगर यह चेक बाउंस हो जाए, तो यह सिर्फ एक वित्तीय गलती नहीं रहती, बल्कि एक गंभीर आपराधिक अपराध बन जाता है। बहुत से लोग इसे हल्के में ले लेते हैं, जो बाद में उनके लिए बड़ी कानूनी परेशानी का कारण बन सकता है।
इस लेख में हम आपको चेक बाउंस से जुड़ी हर जानकारी देंगे—चेक बाउंस क्या होता है, इसकी कानूनी प्रक्रिया क्या है, क्या सजा हो सकती है, और कैसे आप इससे बच सकते हैं।
🔍 चेक बाउंस क्या होता है?
जब आप किसी को पेमेंट करने के लिए चेक देते हैं और वह चेक बैंक द्वारा ‘डिशऑनर’ (Dishonour) या रिटर्न कर दिया जाता है, तो उसे चेक बाउंस कहा जाता है। चेक बाउंस होने के पीछे मुख्य कारण यह होता है कि जिस खाते से चेक जारी किया गया है, उसमें पर्याप्त बैलेंस नहीं होता।
परंतु इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं:
✅ चेक बाउंस के कारण:
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खाते में अपर्याप्त राशि
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गलत हस्ताक्षर या साइन मिसमैच
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चेक की वैधता समाप्त हो जाना (3 महीने के बाद)
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ओवरराइटिंग या किसी प्रकार की गलती
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अकाउंट बंद हो चुका होना
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कंपनी चेक पर अधिकृत हस्ताक्षर या मोहर का अभाव
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चेक पर गलत तारीख या अधिकतम सीमा से बाहर की तारीख
⚖️ चेक बाउंस एक अपराध क्यों है?
भारतीय कानून के तहत चेक बाउंस होना सिर्फ लेन-देन की गलती नहीं है, बल्कि यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 के अंतर्गत अपराध माना गया है।
इस धारा के अंतर्गत चेक जारी करने वाला व्यक्ति अगर जानबूझकर ऐसा करता है और पैसे का भुगतान नहीं करता है, तो उस पर जुर्माना, जेल, या दोनों सजा दी जा सकती है।
🏛️ चेक बाउंस की कानूनी प्रक्रिया क्या है?
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चेक बाउंस होते ही लेंडर (धन प्राप्त करने वाला) को बैंक द्वारा एक चेक रिटर्न स्लिप मिलती है, जिसमें बाउंस का कारण लिखा होता है।
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इसके बाद लेंडर को 30 दिनों के भीतर चेक जारी करने वाले व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेजना होता है।
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नोटिस मिलने के बाद, चेक जारी करने वाले को 15 दिनों के भीतर बकाया रकम चुकानी होती है।
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अगर 15 दिनों में भुगतान नहीं होता है, तो लेंडर अगले 30 दिनों के भीतर अदालत में केस दर्ज कर सकता है।
⚖️ कौन-कौन सी धाराएं लगती हैं?
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धारा 138: यह मुख्य धारा है जिसके अंतर्गत चेक बाउंस को अपराध माना गया है।
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यदि अपराध साबित हो जाता है, तो दोषी व्यक्ति को:
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अधिकतम 2 साल की जेल,
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या चेक की रकम का दोगुना जुर्माना,
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या दोनों सजा दी जा सकती है।
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💸 बैंक भी लगाता है पेनल्टी
चेक बाउंस होने की स्थिति में सिर्फ अदालत ही नहीं, बल्कि बैंक भी चेक बाउंस चार्ज वसूलता है। यह पेनल्टी चेक जारी करने वाले और जमा करने वाले दोनों पक्षों से ली जाती है।
उदाहरण:
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SBI: ₹150 से ₹500 तक चार्ज
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HDFC, ICICI, Axis बैंक: ₹300 से ₹750 तक पेनल्टी
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यह बैंक के नियमों पर निर्भर करता है
❌ चेक बाउंस से कैसे बचें?
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खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें – चेक जारी करने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके अकाउंट में पर्याप्त पैसे हैं।
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हस्ताक्षर जांचें – साइन वही करें जो बैंक रिकॉर्ड में है।
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चेक भरते समय सावधानी बरतें – ओवरराइटिंग, कटिंग से बचें।
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चेक की वैधता देखें – हमेशा 3 महीने के भीतर चेक क्लियर कराएं।
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अगर चेक बाउंस हो जाए, तो जल्दी से जल्दी भुगतान करें – इससे केस दर्ज होने से बच सकते हैं।
🤝 समझौता और समाधान
अगर मामला अदालत तक पहुंच भी जाए, तो भी दोनों पक्षों में आपसी समझौते से विवाद खत्म किया जा सकता है। अगर चेक की राशि चुका दी जाती है और लेंडर केस वापस लेने को तैयार है, तो न्यायालय केस समाप्त कर सकता है।
📚 महत्त्वपूर्ण न्यायालय निर्णय
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Supreme Court के निर्देश के अनुसार, अदालतें ऐसे मामलों को शीघ्र निपटाएं ताकि लोन सिस्टम में भरोसा बना रहे।
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कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर चेक बाउंस करने वाला व्यक्ति जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहा है, तो उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए।
🧾 वास्तविक जीवन से उदाहरण
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एक व्यक्ति ने कार खरीदते समय ₹1 लाख का चेक दिया, लेकिन चेक बाउंस हो गया। उसे अदालत ने दोषी मानते हुए 1 साल की सजा और ₹2 लाख का जुर्माना लगाया।
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एक बिजनेसमैन ने सप्लायर को भुगतान के लिए ₹50,000 का चेक दिया जो बाउंस हो गया। अदालत में केस चला और बाद में आपसी समझौते से मामला सुलझा।
📌 निष्कर्ष
चेक बाउंस को कभी भी मामूली बात नहीं समझना चाहिए। यह एक आपराधिक मामला है और इससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया बेहद गंभीर है। अगर आप चेक जारी कर रहे हैं, तो इसकी जिम्मेदारी को समझें और सभी नियमों का पालन करें।
कानूनी जागरूकता ही आपको इन परेशानियों से बचा सकती है। हमेशा खातों का संतुलन रखें, सही तरीके से चेक भरें और समय पर भुगतान करें।
📝 याद रखें:
विषय | विवरण |
---|---|
कानून | नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881, धारा 138 |
अधिकतम सजा | 2 साल जेल या दोगुना जुर्माना या दोनों |
नोटिस अवधि | नोटिस के 15 दिन के अंदर भुगतान |
केस दर्ज करने की सीमा | नोटिस के 30 दिन के अंदर |
बैंक पेनल्टी | ₹150 से ₹750 तक |
⚠️ चेतावनी:
अगर आप किसी को चेक दे रहे हैं, तो उसे हल्के में न लें। क्योंकि एक छोटा सा चेक आपके लिए जेल का कारण बन सकता है।
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