भारत में निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद साधनों में गिनी जाती है। लाखों लोग हर साल अपनी मेहनत की कमाई को FD में डालते हैं ताकि उन्हें निश्चित ब्याज और पूंजी की सुरक्षा मिल सके। आजकल FD को अकेले कराने की बजाय पति-पत्नी या परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ जॉइंट FD (Joint FD) करवाने का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है।
जॉइंट FD का फायदा यह होता है कि खाते में दोनों के नाम रहते हैं, जिससे निवेश पर भरोसा और सुरक्षा बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जॉइंट FD कराने से इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) की नजर आप पर पड़ सकती है और घर तक टैक्स नोटिस (Tax Notice) आ सकता है?
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि जॉइंट FD पर टैक्स कैसे लगता है, टैक्स नोटिस क्यों आ सकता है, किन गलतियों से बचना चाहिए और कैसे सही रणनीति बनाकर आप FD का पूरा लाभ उठा सकते हैं।
FD पर टैक्स का नियम: ब्याज हमेशा टैक्सेबल होता है
बहुत से निवेशक मानते हैं कि FD से मिलने वाला ब्याज उनकी “सेविंग्स” है और इस पर टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन सच यह है कि FD पर मिलने वाला ब्याज आपकी टैक्सेबल इनकम (Taxable Income) का हिस्सा होता है।
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अगर आपने FD से साल में ₹40,000 से अधिक ब्याज कमाया है, तो बैंक उस पर TDS (Tax Deducted at Source) काटेगा।
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वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) के लिए यह सीमा ₹50,000 है।
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अगर आपकी कुल आय टैक्स स्लैब से ऊपर है, तो आपको यह ब्याज अपनी ITR (Income Tax Return) में दिखाना होगा।
जॉइंट FD का टैक्स नियम: टैक्स बोझ नहीं बंटता
अब सवाल आता है कि अगर FD पति-पत्नी के नाम पर जॉइंट है, तो क्या टैक्स दोनों के बीच बंटेगा?
इसका जवाब है – नहीं।
इनकम टैक्स विभाग यह देखता है कि FD में पैसा किसने निवेश किया है। वही व्यक्ति टैक्स चुकाने के लिए जिम्मेदार होगा।
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अगर पैसा पति का है और पत्नी सिर्फ सेकेंड होल्डर हैं, तो टैक्स पति के नाम पर लगेगा।
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अगर पत्नी ने पैसा लगाया है और पति का नाम सेकेंड होल्डर है, तो टैक्स पत्नी को देना होगा।
यानी कि FD में नाम चाहे दोनों का हो, लेकिन टैक्स की जिम्मेदारी मुख्य निवेशक (First Holder / Contributor) पर ही आती है।
क्यों आ सकता है इनकम टैक्स का नोटिस?
अगर FD का स्ट्रक्चर और इनकम सही तरीके से घोषित नहीं की गई, तो घर पर इनकम टैक्स नोटिस आ सकता है।
1. बेनामी ट्रांजैक्शन (Benami Transaction)
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अगर FD में पैसा पति का है लेकिन FD पत्नी के नाम पर बनाई गई है, तो टैक्स विभाग इसे “बेनामी” लेन-देन मान सकता है।
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इसका मतलब है कि आप अपनी संपत्ति किसी और के नाम पर दिखा रहे हैं, जो टैक्स नियमों के खिलाफ है।
2. गलत तरीके से फॉर्म 15G/15H भरना
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बहुत से लोग टैक्स से बचने के लिए बैंक में फॉर्म 15G/15H भर देते हैं, ताकि बैंक TDS न काटे।
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लेकिन ये फॉर्म तभी भरना चाहिए जब आपकी कुल आय टैक्स सीमा से कम हो।
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अगर आपकी आय टैक्सेबल है और फिर भी आपने यह फॉर्म भरा है, तो इसे टैक्स चोरी (Tax Evasion) माना जाएगा।
3. ITR में ब्याज आय न दिखाना
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कई लोग FD से मिलने वाले ब्याज को ITR में दिखाना भूल जाते हैं।
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बैंक TDS काट चुका होता है, और टैक्स विभाग के पास इसकी जानकारी भी होती है।
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ऐसे में ब्याज आय न दिखाने पर नोटिस आ सकता है।
FD और क्लबिंग ऑफ इनकम (Clubbing of Income)
इनकम टैक्स कानून में एक खास नियम है जिसे Clubbing of Income कहा जाता है।
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अगर पति ने अपनी कमाई से FD बनाई और पत्नी को सेकेंड होल्डर बनाया, तो ब्याज की आय पति की इनकम में जोड़ी जाएगी।
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अगर पत्नी गृहिणी हैं और उनकी खुद की कोई इनकम नहीं है, तब भी टैक्स पति को ही देना होगा।
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इसी तरह, अगर FD बच्चों के नाम पर कराई गई है, तो नाबालिग बच्चे की इनकम माता-पिता की इनकम में जोड़ दी जाएगी।
एक उदाहरण से समझिए
मान लीजिए कि राजेश ने ₹10 लाख की FD अपनी पत्नी सुनीता के साथ जॉइंट कराई।
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FD से उन्हें सालाना ₹70,000 ब्याज मिलता है।
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चूंकि पैसा राजेश का है, इसलिए ब्याज की पूरी राशि उनकी इनकम में जोड़ी जाएगी।
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अगर राजेश 30% टैक्स स्लैब में आते हैं, तो उन्हें इस ₹70,000 पर लगभग ₹21,000 टैक्स देना होगा।
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भले ही FD पर सुनीता का नाम सेकेंड होल्डर के तौर पर लिखा हो, लेकिन टैक्स का बोझ राजेश पर ही रहेगा।
टैक्स नोटिस से बचने के उपाय
अगर आप टैक्स नियमों का पालन सही तरीके से करेंगे, तो नोटिस आने का डर खत्म हो जाएगा। यहां कुछ आसान उपाय दिए जा रहे हैं:
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स्पष्ट करें कि FD में पैसा किसका है
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FD बनाते समय यह साफ रखें कि योगदान (Contribution) किसका है।
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फर्स्ट होल्डर वही बनाएं जिसने पैसा लगाया है
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अगर पैसा पति का है, तो पति को ही FD का First Holder बनाएं।
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ITR में ब्याज आय सही तरीके से दिखाएं
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FD से मिलने वाला ब्याज “Income from Other Sources” में दिखाना जरूरी है।
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फॉर्म 15G/15H का सही इस्तेमाल करें
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ये फॉर्म तभी भरें जब आपकी कुल आय टैक्स स्लैब से नीचे हो।
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बैंक स्टेटमेंट और FD की रसीदें संभालकर रखें
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टैक्स जांच पड़ताल की स्थिति में ये दस्तावेज आपके लिए सबूत का काम करेंगे।
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वरिष्ठ नागरिकों के लिए राहत
अगर FD वरिष्ठ नागरिक के नाम पर है, तो उन्हें कुछ अतिरिक्त फायदे मिलते हैं:
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ब्याज पर TDS की सीमा ₹50,000 तक है।
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वरिष्ठ नागरिक ITR में 80TTB सेक्शन के तहत ₹50,000 तक की ब्याज आय पर छूट भी ले सकते हैं।
पेशेवर सलाह लेना क्यों जरूरी है?
टैक्स नियम जटिल हो सकते हैं और अक्सर निवेशक छोटी-सी गलती कर बैठते हैं। इसलिए:
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निवेश करने से पहले किसी CA (Chartered Accountant) या टैक्स विशेषज्ञ से सलाह लें।
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अगर आप बड़े निवेश कर रहे हैं, तो यह सलाह और भी जरूरी हो जाती है।
निष्कर्ष
जॉइंट FD एक बेहतरीन और सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन इसे बनाते समय टैक्स नियमों की पूरी जानकारी होना जरूरी है।
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FD पर मिलने वाला ब्याज हमेशा टैक्सेबल होता है।
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जॉइंट FD होने पर भी टैक्स की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति की होती है जिसने पैसा लगाया है।
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गलत फॉर्म भरने या आय छुपाने पर इनकम टैक्स नोटिस आ सकता है।
इसलिए, अगर आप चाहते हैं कि आपका निवेश सुरक्षित रहे और घर पर टैक्स नोटिस न आए, तो सही योजना बनाकर, नियमों का पालन करते हुए और पेशेवर सलाह लेकर ही FD करें।
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