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How to Verify Property Legality Before Buying – Avoid Scams and Legal Issues

क्या बैंक बिना नॉमिनी के अकाउंट खोलने से मना कर सकते हैं? जानिए 1 नवंबर से लागू होने वाला RBI का नया नियम

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक नया नियम जारी किया है जो 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। यह नियम बैंक खातों, लॉकरों और सेफ कस्टडी में रखी गई वस्तुओं के लिए नामांकन (Nomination) से जुड़ा है।

इस नियम का मकसद बैंकिंग प्रणाली को अधिक पारदर्शी, ग्राहक-हितैषी और कानूनी रूप से सरल बनाना है।

कई ग्राहकों का सवाल है —
👉 “अगर मैं अपने बैंक खाते में किसी को नॉमिनी नहीं बनाना चाहता, तो क्या बैंक मेरा खाता खोलने से मना कर सकता है?”

इसका जवाब है — नहीं।
RBI के नए निर्देशों के अनुसार, अगर ग्राहक नॉमिनी नहीं देना चाहता, तो बैंक उसका खाता खोलने से मना या देरी नहीं कर सकता

आइए सरल भाषा में समझते हैं कि यह नया नियम क्या कहता है, इसका ग्राहकों पर क्या असर होगा और क्यों नॉमिनी रखना फिर भी जरूरी है।

क्या बैंक बिना नॉमिनी के अकाउंट खोलने से मना कर सकते हैं? जानिए 1 नवंबर से लागू होने वाला RBI का नया नियम

नॉमिनी क्या होता है और यह क्यों ज़रूरी है?

नॉमिनी (Nominee) वह व्यक्ति होता है जिसे आप यह अधिकार देते हैं कि आपकी मृत्यु की स्थिति में वह आपके बैंक खाते में जमा रकम या लॉकर की वस्तुएं प्राप्त कर सके।

यह व्यक्ति आपका परिवार का सदस्य, जीवनसाथी, बच्चा, माता-पिता या कोई भरोसेमंद व्यक्ति हो सकता है।

नॉमिनी रखने के फायदे:

  • आपके निधन के बाद परिवार को तुरंत पैसे तक पहुंच मिलती है।

  • कानूनी झंझट कम होता है – नॉमिनी को सीधे बैंक से पैसा मिल सकता है।

  • संपत्ति या पैसों को लेकर विवाद की संभावना घटती है।

हालाँकि, नॉमिनी बनाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन सुझाव यही है कि हर व्यक्ति को अपने बैंक खाते में नॉमिनी अवश्य रखना चाहिए।


RBI का नया नियम: मुख्य बातें

RBI ने ‘Nomination Facility in Deposit Accounts, Safe Deposit Lockers and Articles Kept in Safe Custody with the Banks Directions, 2025’ नाम से नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो 1 नवंबर 2025 से लागू होंगे।

इनके तहत:

  1. बैंक को हर ग्राहक को नॉमिनी की सुविधा खाता खोलते समय देनी होगी।

  2. ग्राहक को नॉमिनी न देने का अधिकार भी होगा, बशर्ते वह इसके लिए लिखित रूप से घोषणा करे।

  3. अगर ग्राहक नॉमिनी देने से इनकार करता है, तो भी बैंक खाता खोलने से मना नहीं कर सकता

  4. बैंक को ग्राहक को नॉमिनी रखने के फायदे स्पष्ट रूप से समझाने होंगे।

  5. अगर ग्राहक लिखित घोषणा देने से भी मना करे, तो बैंक को उस इनकार की सूचना रिकॉर्ड में दर्ज करनी होगी।


RBI ने क्या कहा है?

RBI ने अपने निर्देशों में स्पष्ट कहा है:

“खाता खोलते समय बैंक को संभावित ग्राहक को नॉमिनेशन सुविधा की उपलब्धता और उसके उद्देश्य के बारे में स्पष्ट रूप से बताना होगा और उसे इस सुविधा का लाभ लेने का विकल्प देना होगा।”

इसके साथ ही RBI ने यह भी कहा है:

“केवल नॉमिनेशन देने से इनकार करने के कारण किसी ग्राहक का खाता खोलने से मना या उसमें देरी नहीं की जा सकती, यदि अन्य सभी शर्तें पूरी की गई हों।”

इसका मतलब है कि नॉमिनी देना पूरी तरह वैकल्पिक है। ग्राहक का निर्णय — चाहे “हाँ” हो या “ना” — बैंक को स्वीकार करना ही होगा।


RBI ने यह बदलाव क्यों किया?

पहले विभिन्न बैंकों में नॉमिनेशन को लेकर एकरूपता नहीं थी।
कुछ बैंक इसे अनिवार्य समझते थे, जबकि कुछ लचीले थे।

इसके कारण कई दिक्कतें सामने आईं:

  • खातेधारक की मृत्यु के बाद परिवार में विवाद होते थे।

  • बिना नॉमिनी के पैसे रिलीज़ करने में देरी होती थी।

  • कई ग्राहकों ने शिकायत की कि बैंक बिना नॉमिनी के खाता खोलने से मना कर रहे हैं।

अब RBI ने इस नए नियम से स्थिति साफ कर दी है।
यह नियम सुनिश्चित करता है कि:

  • ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा हो।

  • सभी बैंक एक समान प्रक्रिया अपनाएँ।

  • रिकॉर्ड पारदर्शी रहे और विवादों की संभावना कम हो।


1 नवंबर के बाद खाता खोलने की प्रक्रिया कैसी होगी?

अब खाता खोलते समय बैंक यह प्रक्रिया अपनाएंगे:

  1. बैंक ग्राहक को नॉमिनेशन की सुविधा के बारे में बताएगा।

  2. ग्राहक के पास दो विकल्प होंगे —

    • नॉमिनी जोड़ना, या

    • नॉमिनी से इनकार करना और इसके लिए एक लिखित घोषणा देना।

  3. अगर ग्राहक लिखित घोषणा देने से भी मना करता है, तो बैंक को केवल यह दर्ज करना होगा कि ग्राहक ने लिखित पुष्टि देने से इनकार किया।

  4. इसके बाद खाता सामान्य रूप से खोला जाएगा, इसमें कोई देरी नहीं होगी।


फिर भी नॉमिनी रखना क्यों फायदेमंद है?

भले ही RBI ने इसे वैकल्पिक बनाया हो, लेकिन नॉमिनी रखना समझदारी भरा कदम है।

कारण जानिए:

  • क्लेम प्रक्रिया आसान होती है – निधन के बाद नॉमिनी को केवल डेथ सर्टिफिकेट और अपनी पहचान दिखानी होती है।

  • कानूनी झंझट से बचाव – बिना नॉमिनी के कानूनी वारिसों को “सक्सेशन सर्टिफिकेट” या “लीगल हेयर सर्टिफिकेट” लाना पड़ता है।

  • परिवार को आर्थिक सुरक्षा – अचानक संकट की स्थिति में परिवार को तुरंत मदद मिल सकती है।

इसलिए, नॉमिनी रखना हमेशा सुरक्षित विकल्प है।


अगर आपके पास पहले से खाता है और नॉमिनी नहीं है तो क्या करें?

यदि आपका खाता पहले से है और आपने नॉमिनी नहीं दिया है, तो चिंता की बात नहीं।

आप कभी भी:

  • नॉमिनी जोड़ सकते हैं (Form DA1)

  • नॉमिनी बदल सकते हैं (Form DA3)

  • नॉमिनी हटाने का अनुरोध कर सकते हैं (Form DA2)

आजकल अधिकांश बैंक यह सुविधा ऑनलाइन भी देते हैं — मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से।


संयुक्त खाते (Joint Accounts) और लॉकरों में नॉमिनी

संयुक्त खाता (Joint Account):

  • ऐसे खातों में सभी खाता धारकों को मिलकर नॉमिनी तय करनी होती है।

  • किसी एक धारक की मृत्यु के बाद खाता बाकी धारकों के नाम चलता रहता है।

  • सभी के निधन के बाद नॉमिनी पैसे का दावा कर सकता है।

  • अगर नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी वारिसों को सभी दस्तावेज़ देने होंगे।

लॉकर और सेफ कस्टडी:

  • यही नियम लॉकरों और सेफ कस्टडी में रखी वस्तुओं पर भी लागू होगा।

  • बैंक को ग्राहक को नॉमिनी विकल्प देना होगा।

  • ग्राहक इनकार करे, तो बैंक केवल उसे रिकॉर्ड करेगा — पर लॉकर देने से मना नहीं कर सकता।


नए नियम के फायदे

  1. ग्राहक के अधिकार मजबूत होंगे।

  2. पारदर्शिता बढ़ेगी – बैंक अब बिना कारण नॉमिनी को लेकर दबाव नहीं बना पाएंगे।

  3. सभी बैंकों में समान प्रक्रिया लागू होगी।

  4. विवादों में कमी आएगी क्योंकि रिकॉर्ड स्पष्ट रहेगा।

  5. क्लेम निपटान तेजी से हो सकेगा जब नॉमिनी तय हो।


1 नवंबर से ग्राहकों को क्या करना चाहिए

  1. अपने सभी बैंक खातों की जांच करें – क्या उनमें नॉमिनी है?

  2. यदि नहीं है, तो फॉर्म भरकर नॉमिनी जोड़ें।

  3. बैंक से पुष्टि लें कि नॉमिनी का नाम सिस्टम में सही दर्ज है।

  4. नॉमिनी जोड़ने या बदलने की प्राप्ति रसीद संभाल कर रखें।

  5. अगर आप नॉमिनी नहीं रखना चाहते, तो लिखित घोषणा दें, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।


RBI का ग्राहक-हितैषी दृष्टिकोण

यह नया निर्देश RBI के व्यापक कस्टमर प्रोटेक्शन (Customer Protection) मिशन का हिस्सा है।

हाल के वर्षों में RBI ने कई कदम उठाए हैं:

  • RBI Ombudsman Scheme के ज़रिए शिकायत निवारण को सरल बनाया।

  • बैंक शुल्क और नियमों में पारदर्शिता बढ़ाई।

  • डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित बनाने के लिए नए सुरक्षा नियम लाए।

नॉमिनेशन से जुड़ा यह नया नियम भी उसी दिशा में एक बड़ा कदम है — जिससे बैंकिंग ग्राहकों के लिए और आसान और भरोसेमंद बने।


नॉमिनेशन से जुड़े कुछ आम भ्रम

भ्रम 1: अगर मैं नॉमिनी नहीं दूं, तो खाता अमान्य हो जाएगा।
सच: नहीं। आपका खाता पूरी तरह वैध रहेगा। बैंक को खाता खोलने से मना करने का अधिकार नहीं है।

भ्रम 2: नॉमिनी को पैसे का पूरा मालिकाना हक़ मिल जाता है।
सच: नहीं। नॉमिनी केवल ट्रस्टी (देखरेख करने वाला) होता है। असली मालिक कानूनी वारिस होते हैं।

भ्रम 3: एक बार नॉमिनी देने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता।
सच: आप कभी भी नॉमिनी को बदल सकते हैं या हटा सकते हैं

भ्रम 4: नॉमिनी सिर्फ सेविंग अकाउंट के लिए होता है।
सच: नहीं, यह नियम सभी प्रकार के डिपॉजिट (सेविंग, फिक्स्ड, रिकरिंग) और लॉकर पर लागू होता है।


एक उदाहरण से समझिए

मान लीजिए, श्री शर्मा के नाम ₹10 लाख का फिक्स्ड डिपॉजिट है।
उन्होंने नॉमिनी नहीं दिया और अचानक उनका निधन हो गया।

अब उनके बच्चों को:

  • लीगल हेयर सर्टिफिकेट लाना होगा,

  • अफिडेविट और इंडेम्निटी बॉन्ड जमा करने होंगे,

  • और कई हफ्ते या महीने इंतजार करना पड़ेगा।

अगर श्री शर्मा ने नॉमिनी बना दिया होता, तो बैंक कुछ ही दिनों में नॉमिनी को राशि दे देता।
यानी नॉमिनी रखना आपके परिवार के लिए समय और परेशानी दोनों बचाता है।


मुख्य बिंदु एक नज़र में

  • नया नियम 1 नवंबर 2025 से लागू होगा।

  • नॉमिनी रखना वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं।

  • बैंक को ग्राहक को जानकारी देना और विकल्प देना जरूरी है।

  • खाता खोलने से मना नहीं किया जा सकता अगर ग्राहक नॉमिनी देने से इनकार करे।

  • लिखित घोषणा या रिकॉर्ड एंट्री आवश्यक है।

  • नॉमिनी जोड़ने से भविष्य में क्लेम प्रक्रिया आसान होती है।


निष्कर्ष: ग्राहकों के अधिकार, जिम्मेदारी के साथ

RBI का यह नया निर्देश बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह ग्राहकों को सूचित निर्णय लेने की आज़ादी देता है और बैंकों को पारदर्शिता बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपता है।

अब ग्राहक यह चुन सकते हैं कि वे नॉमिनी रखना चाहते हैं या नहीं —
पर यह याद रखना जरूरी है कि नॉमिनी रखना परिवार की सुरक्षा का प्रतीक है।

1 नवंबर 2025 से जब यह नियम लागू होगा, तब यह दो बातें ध्यान रखें:

  • आपके पास चयन की स्वतंत्रता है,

  • और बैंक के पास आपकी स्वतंत्रता का सम्मान करने की जिम्मेदारी।

लेकिन अगर आप अपने परिवार की शांति और भविष्य की सुरक्षा चाहते हैं —
तो एक नॉमिनी जरूर जोड़ें।

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