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How to Verify Property Legality Before Buying – Avoid Scams and Legal Issues

स्कैम अलर्ट! दिल्लीवासियों से ठगे गए 1,000 करोड़ रुपये — जानिए कैसे हो रहे हैं ये फ्रॉड और पुलिस ने दिए ये खास सुझाव

अगर आप सोचते हैं कि साइबर ठगी सिर्फ फिल्मों या किसी दूर देश की बात है, तो ज़रा रुकिए — अब यह खतरा दिल्ली की गलियों तक पहुंच चुका है।

दिल्ली पुलिस के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में अब तक दिल्ली के लोगों से करीब ₹1,000 करोड़ रुपये ऑनलाइन ठगी में लूटे जा चुके हैं।

इनमें सबसे ज़्यादा मामले इन्वेस्टमेंट स्कैम, डिजिटल अरेस्ट स्कैम और बॉस स्कैम के हैं — यानी ठगों ने निवेश, डर और भरोसे को हथियार बना लिया है।

लेकिन राहत की बात यह है कि पुलिस अब पहले से ज़्यादा तेज़ी से कार्रवाई कर रही है और काफी रकम को फ्रीज़ करवा चुकी है।
आइए जानते हैं कि ये ठगी के तरीके कैसे काम करते हैं, पुलिस क्या कर रही है, और आप खुद को कैसे बचा सकते हैं।

स्कैम अलर्ट! दिल्लीवासियों से ठगे गए 1,000 करोड़ रुपये — जानिए कैसे हो रहे हैं ये फ्रॉड और पुलिस ने दिए ये खास सुझाव

💰 बढ़ता वित्तीय नुकसान

साल 2024 में दिल्ली में साइबर अपराधों के ज़रिए लोगों से लगभग ₹1,100 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी।
इसमें से करीब 10% राशि पुलिस और बैंकों ने समय रहते रोक ली थी।

वहीं 2025 में दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूज़न एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई ने अब तक करीब 20% ठगी गई रकम को रोकने में सफलता पाई है — जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है।

डीसीपी (IFSO) विनीत कुमार ने बताया कि यह सफलता पुलिस, बैंकों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच बेहतर तालमेल और लोगों द्वारा तेज़ रिपोर्टिंग के कारण संभव हुई है।

“हम लोगों से अपील करते हैं कि साइबर अपराध का शिकार होते ही तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। जैसे ही पीड़ित ट्रांज़ैक्शन का विवरण देता है, हम उस राशि को फ्रीज़ करने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं,”

  • डीसीपी विनीत कुमार, दिल्ली पुलिस।

IFSO यूनिट के पास 24 घंटे चलने वाली 24 हेल्पलाइनें हैं, जो पीड़ितों की शिकायत दर्ज करने और मदद करने में सक्रिय हैं।


🔍 पैसे वापस लाने की प्रक्रिया कैसे चलती है

जब कोई व्यक्ति साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराता है, तो पुलिस तुरंत संबंधित बैंक से संपर्क करती है और राशि के मूवमेंट को ट्रैक करती है।
अगर पैसा अभी भी बैंकिंग सिस्टम में है, तो उसे अस्थायी रूप से होल्ड (फ्रीज़) कर दिया जाता है — इसे लियन मार्किंग कहा जाता है।

इसके बाद, कोर्ट के आदेश पर वह राशि पीड़ित को वापस दी जा सकती है।

हालांकि, यह तभी संभव है जब रिपोर्ट समय पर की जाए।
अगर पीड़ित देरी करता है, तो ठग पैसा कई खातों और डिजिटल वॉलेट्स के ज़रिए घुमा देते हैं, जिससे ट्रैकिंग लगभग असंभव हो जाती है।


⚠️ 2025 के सबसे बड़े साइबर फ्रॉड: तीन बड़े स्कैम

दिल्ली पुलिस के अनुसार इस साल तीन तरह की ठगी सबसे आम और सबसे ज्यादा नुकसानदायक रही है:

  1. इन्वेस्टमेंट स्कैम (निवेश ठगी)

  2. डिजिटल अरेस्ट स्कैम (झूठी गिरफ्तारी ठगी)

  3. बॉस स्कैम (ऑफिस बॉस बनकर ठगी)

आइए इन्हें एक-एक करके समझते हैं।


💸 1. इन्वेस्टमेंट स्कैम – जल्दी अमीर बनने का झांसा

यह सबसे आम और खतरनाक साइबर ठगी है। ठग लोगों के लालच और भरोसे का फायदा उठाते हैं।

कैसे होती है यह ठगी:

  1. ठग सोशल मीडिया पर आकर्षक महिला या फाइनेंशियल सलाहकार बनकर संपर्क करते हैं।

  2. वे पीड़ित को ऑनलाइन निवेश ग्रुप (जैसे Telegram, WhatsApp आदि) में जोड़ते हैं।

  3. शुरुआत में थोड़े पैसे लगाकर फर्जी मुनाफा दिखाया जाता है।

  4. जब भरोसा जम जाता है, तो ठग लाखों या करोड़ों रुपये का निवेश करवाकर गायब हो जाते हैं।

डीसीपी विनीत कुमार के अनुसार, ऐसे कई नेटवर्क कंबोडिया, लाओस और वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से संचालित होते हैं और चीनी हैंडलर्स द्वारा चलाए जाते हैं।

भारत में इनके सहयोगी बैंक अकाउंट और सिम कार्ड उपलब्ध कराते हैं ताकि ठगी का पैसा देश से बाहर भेजा जा सके।

“कोई भी वैध निवेश आपको कुछ ही दिनों में दुगना मुनाफा नहीं दे सकता। ऐसे ऑफर हमेशा धोखा होते हैं,”

  • डीसीपी विनीत कुमार।


👮 2. डिजिटल अरेस्ट स्कैम – डर दिखाकर पैसे वसूलना

यह स्कैम लोगों के डर और भ्रम का फायदा उठाता है।

ठग खुद को पुलिस अधिकारी, सीबीआई एजेंट या कुरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताकर कॉल करते हैं।
वे कहते हैं कि आपके बैंक अकाउंट या पार्सल का संबंध आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग या साइबर अपराध से है।

वे नकली पहचान पत्र, वीडियो कॉल पर “फर्जी पूछताछ” और सरकारी दस्तावेज़ दिखाकर डराते हैं।
फिर पीड़ित को कहते हैं कि अगर वे “सहयोग” करना चाहते हैं, तो उन्हें सुरक्षा जमा या जुर्माने के नाम पर पैसा ट्रांसफर करना होगा।

वास्तव में यह सब एक ठगी होती है।

“कोई भी सरकारी एजेंसी कभी फोन पर पैसे नहीं मांगती,”

  • पुलिस की चेतावनी।

अगर ऐसा कोई कॉल आए, तो तुरंत कॉल काटें और 1930 पर रिपोर्ट करें।


💼 3. बॉस स्कैम – जब ठग बन जाते हैं आपके ‘बॉस’

यह ठगी कंपनियों और दफ्तरों में काम करने वालों को निशाना बनाती है।

ठग किसी बड़ी कंपनी के सीईओ या सीनियर अधिकारी का नाम और फोटो लेकर फर्जी अकाउंट बनाते हैं।
फिर कर्मचारियों को संदेश भेजते हैं:

“मैं मीटिंग में हूं, तुरंत ₹5 लाख इस अकाउंट में भेजो।”
या
“क्लाइंट के लिए गिफ्ट कार्ड भेजो, कोड अभी चाहिए।”

संदेश इतना असली लगता है कि कर्मचारी बिना पुष्टि किए ट्रांज़ैक्शन कर देते हैं।
बाद में पता चलता है कि यह ठग था।

“अगर आपका बॉस या सीनियर कभी मैसेज से पैसे मांगता है, तो हमेशा फोन पर या आमने-सामने बात करके पुष्टि करें,”

  • डीसीपी कुमार का सुझाव।


🛑 दिल्ली पुलिस की चेतावनी: इन बातों का रखें ध्यान

दिल्ली पुलिस ने नागरिकों को जागरूक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं।

साइबर सुरक्षा के 10 सुनहरे नियम

  1. OTP, पासवर्ड या PIN किसी के साथ साझा न करें।

  2. अंजान लिंक पर क्लिक या .apk फाइल डाउनलोड न करें।

  3. Telegram या WhatsApp के निवेश ग्रुप्स से बचें।

  4. किसी भी भुगतान से पहले कॉल करके पुष्टि करें।

  5. साइबर अपराध की रिपोर्ट तुरंत करें – 1930 पर कॉल करें।

  6. वेबसाइट का URL ध्यान से जांचें।

  7. मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें।

  8. मोबाइल और लैपटॉप का सॉफ्टवेयर अपडेट रखें।

  9. ‘जल्दी अमीर बनने’ वाले ऑफर्स से दूर रहें।

  10. अगर ठगी हो जाए, तुरंत बैंक और पुलिस को सूचित करें।


🧠 विशेषज्ञों की राय: क्यों बढ़ रहे हैं साइबर अपराध

मेजर विनीत कुमार, CyberPeace Foundation के संस्थापक और ग्लोबल प्रेसिडेंट, बताते हैं कि भारत में साइबर अपराधों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है।

“आज ठग सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि इंसानों की भावनाओं — भरोसा, डर और लालच — का भी फायदा उठा रहे हैं,”

  • मेजर कुमार।

वे कहते हैं कि ठग अब AI आवाज़ें, डीपफेक वीडियो और चैटबॉट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उनके झांसे असली लगें।

साइबर अपराध बढ़ने के प्रमुख कारण:

  • डिजिटल निर्भरता में बढ़ोतरी – अब हर काम ऑनलाइन होता है।

  • साइबर जागरूकता की कमी – लोग ठगी की पहचान नहीं कर पाते।

  • अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क – ठग विदेशी सर्वर से काम करते हैं।

  • मानव भावनाएं – लालच और डर का फायदा उठाया जाता है।


🛡️ साइबर रेज़िलिएंस की ज़रूरत

सिर्फ सुरक्षा नहीं, अब ज़रूरी है साइबर रेज़िलिएंस — यानी घटना होने के बाद भी जल्दी रिकवरी और प्रतिक्रिया देने की क्षमता।

कैसे बनें साइबर रेज़िलिएंट:

  1. स्कूलों, दफ्तरों और कॉलोनियों में साइबर जागरूकता अभियान चलाएं।

  2. कंपनियों में कर्मचारियों को फिशिंग और धोखाधड़ी की पहचान सिखाएं।

  3. तेज़ कानूनी कार्रवाई और सख्त सजा सुनिश्चित करें।

  4. बैंकों, टेलीकॉम कंपनियों और पुलिस में बेहतर समन्वय बनाएं।

  5. AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम अपनाएं।

“साइबर सुरक्षा सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। हर इंटरनेट यूज़र को सतर्क रहना होगा,”

  • मेजर विनीत कुमार।


📞 अगर आप ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें

अगर आपको लगे कि आप साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं, तो घबराएं नहीं — तुरंत कार्रवाई करें।

करने योग्य कदम:

  1. हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत कॉल करें।

  2. ट्रांज़ैक्शन का पूरा विवरण दें — अकाउंट नंबर, UPI ID, समय और स्क्रीनशॉट।

  3. अपने बैंक को तुरंत सूचित करें और खाते को फ्रीज़ करवाएं।

  4. www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।

  5. सारे सबूत (मैसेज, कॉल रिकॉर्ड, ईमेल) संभालकर रखें।

  6. जरूरत पड़ने पर नज़दीकी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं।

याद रखें — जितनी जल्दी आप रिपोर्ट करेंगे, पैसे वापस मिलने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।


📊 बड़ा खतरा, बड़ी ज़िम्मेदारी

साइबर ठगी सिर्फ पैसों का नुकसान नहीं है — यह लोगों के भरोसे पर हमला है।

दिल्ली में बढ़ते साइबर अपराध यह दिखाते हैं कि यह राष्ट्रीय स्तर पर एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन ठग भी उसी गति से तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं।

हालांकि, दिल्ली पुलिस की रिकवरी दर अब 10% से बढ़कर 20% हो चुकी है — यह एक सकारात्मक संकेत है।
लेकिन असली समाधान है जन-जागरूकता और त्वरित रिपोर्टिंग।

“हर ठगी को रोकने की शुरुआत वहीं से होती है जब कोई व्यक्ति हिम्मत करके रिपोर्ट करता है,”

  • डीसीपी विनीत कुमार।


🔒 निष्कर्ष: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

साइबर अपराधी रोज़ नए तरीके खोज रहे हैं — कभी निवेश का लालच, कभी पुलिस का डर, कभी बॉस का आदेश।
लेकिन आपके पास भी एक ताकत है — सतर्कता और समझदारी।

याद रखें:

  • जल्दी अमीर बनने का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

  • किसी दबाव में आकर ट्रांज़ैक्शन न करें।

  • हर कॉल या मैसेज को जांचें।

  • ठगी होते ही तुरंत 1930 पर कॉल करें।

जैसे-जैसे दिल्ली डिजिटल बन रही है, वैसे-वैसे जागरूकता सबसे बड़ा हथियार बन रही है।
अगर हर नागरिक सतर्क रहे, तो दिल्ली ठगों की नहीं, साइबर सुरक्षा की राजधानी बनेगी।

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